मेलबर्न में कोहली के खेल और व्यवहार ने जता दिया कि वे सचिन तेंदुलकर के निकट नहीं पहुंच पाएंगे
RNE Network
ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर आंध्र प्रदेश के 21 वर्षीय ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी का स्वैग कल देखकर यूं लगा कि 156 ग्राम की क्रिकेट गेंद और सवा किलो का बल्ला किसी भी गुमनाम खिलाड़ी की किस्मत चमका सकती है,बस जरूरत होती है उचित अवसर और दृढइच्छाशक्ति की…गौर करने की बात यह भी है कि नीतीश रेड्डी के फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर के आंकड़े भी इतने आकर्षित नहीं है। नीतीश कुमार का घरेलू क्रिकेट में बैटिंग एवरेज अपनी उम्र के ही आसपास महज 23 का है, फिर भी नीतीश रेड्डी नंबर आठ पर बॉर्डर -गावस्कर ट्रॉफी में बल्लेबाजी कर टीम इंडिया के टॉप स्कोरर बन गए है।
हर क्रिकेट एक्सपर्ट नीतीश रेड्डी की टीम इंडिया की अंतिम इलेवन में जगह को लेकर प्रश्नचिन्ह लगा रहा था,लेकिन कोच गौतम गंभीर ने नीतीश को ऑस्ट्रेलिया सीरीज से पूर्व यह आश्वासन दे दिया था कि आप पांचो टेस्ट खेलेंगे। बॉर्डर -गावस्कर सीरीज से सर्वाधिक उम्मीदें विराट कोहली से थी, लेकिन किंग कोहली फैंस और खुद की आशाओं पर ही खरे नहीं उतरे,अलबत्ता अनेक विवादों को जन्म देकर अपनी साख और ब्रांड इक्विटी पर ही डेंट लगा दिया। ऑस्ट्रेलिया में कोहली के व्यवहार और खेल से एक बात तो एकदम स्पष्ट हो गई कि कोहली मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के करीब न खेल रिकॉर्ड में और न पब्लिक व्यवहार में समीप पहुंच पाएंगे।
विराट कोहली पहले ऑस्ट्रेलियन मीडिया से इसलिए भिड़ गए क्योंकि कोई पत्रकार उनकी फैमिली के छायाचित्र ले रहा था, फिर कोहली मेलबर्न में नवोदित ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज सैम कोनस्टांस से बीच क्रिकेट पिच पर जानबूझकर भिड़ गए और फिर जब कोहली मेलबर्न में यशस्वी जायसवाल को रन आउट करवा के खुद का ध्यान भंग कर ऑफ़ स्टम्प की गेंद को छेड़ कर आउट होकर पैवेलियन की ऒर जा रहें थे तो हुटिंग कर रहें कंगारु फैंस से उलझ गए।
कोहली को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह क्रिकेट के ग्लोबल ब्रांड एम्बेसडर है,कोहली की लोकप्रियता को वजह बताकर ही इंटरनेशनल ऑलम्पिक कमेटी ने क्रिकेट को ऑलम्पिक खेलो में शामिल किया है। विराट कोहली को अपने आयडल सचिन तेंदुलकर और अपने से करीब 15 वर्षीय छोटे नीतीश रेड्डी से बहुत कुछ सीखना चाहिए। सचिन तेंदुलकर को तो ऑस्ट्रेलिया में हेलमेट पर गेंद लगने के बाद ग्लेन मैक्ग्रा की बॉल पर पगबाधा आउट करार दिया गया था, उस क्रिकेट युग में DRS का चलन भी नहीं था, लेकिन सचिन एक सच्चे जेंटलमैन की तरह बिना कोई रिएक्शन दिए पैवेलियन लौट गए।
दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर के अनुसार हमेशा से ही भारत -ऑस्ट्रेलिया सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ऑस्ट्रेलिया टीम के गेम प्लान का हिस्सा रहती है, सचिन तेंदुलकर को भी कंगारु मीडिया ने कहां छोड़ा था, लेकिन सचिन ने अपने खेल कौशल और सदव्यवहार से ऑस्ट्रेलिया में अपनी अलग इमेज़ बनाई। हाल ही में सचिन को 147 साल पुराने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड का मानद सदस्य बनाया गया है।
कोहली को नीतीश से भी कुछ सीखना चाहिए क्योंकि कोई भी नीतीश से बड़ी उम्मीद नहीं रख रहा था, अतीत में भी नीतीश टॉप 6 के बैटर नहीं थे, फिर भी नीतीश कुमार ने सिने स्टार अल्लू अर्जुन की तरह भाव भंगिमा दिखाकर बता दिया कि मैं ऑस्ट्रेलियन पेस अटैक और पब्लिक हुटिंग के सामने सरेंडर नहीं करूंगा।
कोहली के पास अब बॉर्डर -गावस्कर सीरीज में बैटिंग के तीन अवसर ही बचे है,जैसा कि कोहली ने वर्ल्ड टी टवेंटी फाइनल की ऐतिहासिक पारी के बाद पोस्ट मैच कमेंट्री में कहा था कि मैंने अपने अहंकार को परे रखकर सिर्फ खेल और ऊपरवाले की मेहर पर धयान दिया, कुछ ऐसा ही कोहली को बची हुई तीन इनिंग में करने की नितांत आवश्यकता है।
मनोज रतन व्यास के बारे में :
मनोज रतन व्यास को समान्यतया फिल्म समीक्षक, लेखक, कवि के रूप में जाना जाता है। कम लोग जानते है कि बिजनेस मैनेजमेंट के महारथी और मीडिया में प्रसून जोशी के साथ एडवरटाइजमेंट क्रिएटीविटी टीम के सदस्य रहे मनोज गहरी दृष्टि वाले खेल समीक्षक हैं। rudranewsexpress.in के पाठक Sunday Sports Talk में उनकी इसी “फील्ड से फिनिश लाइन” तक वाली समीक्षकीय दृष्टि से हो रहे हैं रूबरू।